इस पोस्ट में हम पड़ने वाले है की राजयोग क्या होता है एंड इसको कैसे पहचाने| और राजयोग कैसे बनता है| मतलब वो कोण कोण से सम्बन्ध होते है जिनसे पता चलता है की कुंडली में राजयोग है|
केन्द्रेश और त्रिकोणेश के सम्बंद को राजयोग कहते है|
Kendra and Trikon houses in horoscope
केन्द्रेश (Kendra Houses Lord) मीन्स:
- 1st House Lord
- 4th House Lord
- 7th House Lord
- 10th House Lord
त्रिकोणेश (Trikon Houses Lord) मीन्स:
- 1st House Lord
- 5th House Lord
- 9th House Lord
ग्रहों के आपस में संबंध | Graho ke Aapas me Sambandh.
अब हम संबंध से मतलब समझेंग।
गृह के संम्बंध 4 प्रकार के होते ह।
- स्थान सम्बन्ध
- दृष्टि सम्बन्ध
- युति सम्बन्ध
- एकान्तर सम्बन्ध
1. स्थान संबंध
जब 2 प्लैनेट्स (ग्रह) एक दूसरे के घर में बैठते है तब उनमे स्थान समबन्ध बनता ह।
2. दृष्टि संबंध (Drishti Sambandh)
जब 2 Planets (ग्रह) एक दूसरे को देखते है तोह उनमे दृष्टि सम्बन्ध बनता है |
3. युति संबंध (Conjunctions)
जा 2 Planets (ग्रह) एक ही घर में बैठ जाते है तो युति सबंध बनता है |
4. एकान्तर संबंध
एक Planet (ग्रह) दूसरे घर में बैठे और दूसरा पहले को देखे तो उनमे एकान्तर सम्बन्ध बनता है।
Example of एकान्तर संबंध:
बुध प्लेनेट 10th House में बैठा है|
10th house में 1 नंबर राशि है तो 10th हाउस का स्वामी या मालिक हुआ मंगल ग्रह
अब मंगल ग्रह की 3 दृष्टि होती है - 4 - 7 - 8
तो मंगल ग्रह की दृष्टि अगर 10th House में पढ़ रही है तो एकान्तर सम्बन्ध बन गया |
अब आते है की राजयोग कैसे बनता है वाले सवाल पर? (Rajyog In Kundli)
केंद्र त्रिकोण राजयोग - Kendra Trikon Rajyog
ऊपर वाला चार्ट में चंद्रमा और बुध में युति सम्बन्ध है|
चंद्रमा हमारा चार्ट में 5th लार्ड या स्वामी है| जो की त्रिकोणेश में आता है |
बुध हमारा चार्ट में 4th लार्ड या स्वामी है जो के केन्द्रेश में आता है |
तो हम आसान भाषा में कह सकते है की केन्द्रेश और त्रिकोणेश में जब स्थान सबंध, दृष्टि सबंध, युति सम्बन्ध एंड एकांतंतर सम्बन्ध बनता है तो राजयोग (Rajyog) बनता है